Birth of positive thoughts in my life part nine : मेरे जीवन में सकारात्मक विचारों का जन्म भाग नौ
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*जरूरी नहीं की हर सबक किताबों से ही सीखा जाए कुछ सबक रिश्ते और इंसान भी सिखा जाते हैं।

*धोखा झूठ फरेब दिखावा कभी मरता नहीं आज आप दोगे कल सूद समेत आपको भी मिलेगा।

*आप किसी के सपनों से खेलते हो तो यकीनन एक दिन कोई आपके सपनों से भी खेलेगा।

*पंछी की उड़ान पिंजरे में नहीं खुले आसमान में समझ आती है।

*जब आप बीमार होते हैं तो लोगों को आपका ख्याल रखना होता है। बहुत बीमार होते हैं तो बहुत ख्याल रखना होता है आईसीयू में भरती हो जाए तो सिर्फ दवा नहीं दुआ की भी जरूरत होती है ।सांसे थम जाए तो न ख्याल न दवा न दुआ कुछ भी काम नहीं आता।

*जब आप अपने सपनों से खेलने वाले को भी क्षमा कर देते हैं तो स्वयं ही आपके लिए नर्क के द्वार खुल जाते हैं।

*वक्त के साथ बदल जाना बहुत आवश्यक है क्योंकि वक्त बदलना सिखाता है रुकना नहीं।

*जब तक आपके फैसले लीक से हटकर न होंगे तब तक आपका जीवन आम इंसान जैसे ही होंगें ।

*आपको मानसिक बीमार बनाने के लिए एक ही शब्द काफी है किस्मत।

*किस्मत पर यकीन करने वाले को ये पता ही नहीं होता कि वे दूसरों की गलती की सजा स्वयं को दे रहे होते हैं।

*हीरा हमेशा हीरा ही रहेगा चाहे हीरा खदान में हो या बाजार में। कीमत हर जगह देनी होती है हीरे की खदान से निकालने में भी और बाजार से खरीदने में भी।

*रोशनी अंधेरे को खत्म करती है, रचनात्मक विचार विनाशकारी विचारों को नष्ट करते हैं किस्मत पे विश्वास एक विनाशकारी विचार है।

*जब आपकी अपनी जिंदगी में दिलचस्पी कम हो जाती है तब आप सपने देखना बंद कर देते हैं।

*आसान कार्य करके किसी ने आज तक इतिहास नहीं रचा।

*शख्सियत में थोड़ी खख्ती भी जरूरी है क्योंकि लोग मीठे पानी को पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं खारे पानी को नहीं।

*विश्वास कीजिए सभी पर उत्तर है किंतु तैयार रहिए विश्वास टूटने पर आप स्वयं को न टूटने देने के लिए।

*सफलता तो एक ही रात में मिला करती है किंतु इसके लिए असफलताओं की कई रातें गुजारनी होती है।

*कभी-कभी वक्त के साथ सब ठीक नहीं सब कुछ खत्म हो जाते है।

*इंसान को छोड़ सभी समय पर अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और निभाते भी हैं।

*कभी-कभी कुछ लोगों को युद्ध भूमि में ही युद्ध विद्या सीखनी पड़ जाती है जंग जितनी है तो सीखने की चुनौती स्वीकारनी ही होगी आप न नहीं कर सकते।

*जख्म कैसे हो भर ही जाते हैं मगर जख्म देने वाले हमेशा याद रहते हैं।

*हमसफर नेक हो तो जिंदगी जन्नत सी है सपने मन्नत सी है।

*पति इंसान है व नेक नियत वाला है तो पिता के घर से ज्यादा सपने पति के घर में पूरे हो जाते हैं।

*पैसे से आप बहुत कुछ खरीद सकते हैं लेकिन इंसानियत बाजार में नहीं बिकती यह तो माता-पिता द्वारा बोये संस्कारों के बीज से पनपती है।

*जिंदगी की लड़ाई है खुद ही लड़नी होगी लोग सिर्फ ज्ञान देने आएंगे साथ देने नहीं।

*जिंदगी तब बहुत खूबसूरत है जब आप कुदरत के नियमों के साथ चलते हो इंसान हो मुकाबला कर सकते हो लेकिन कुदरत के नियमों को बदल नहीं सकते।

*झूठ बोलकर जीतने से बेहतर है कि सच बोलकर हार जाओ आप।

*जो व्यक्ति सदैव झूठ बोलता है अदूरदर्शिता स्वयं ही उसकी परम मित्र बन जाती है

*कुदरत अपने नियमों से चलती है इंसान के नियमों से कुदरत को कोई लेना-देना नहीं।

*गलतफहमियां होने व बोलचाल बंद होने पर सुलह के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं।

*दुनिया में विरले ऐसे लोग मिलते हैं जो अपनी कमियों पे सहजतापूर्वक बात करते हैं और ऐसे लोग लॉटरी की तरह होते हैं। ऐसे लोगों का कभी साथ मत छोड़िए।

*वह माता-पिता बहुत भाग्यशाली हैं जिनके बच्चे हमेशा कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार रहते हैं।

*बनना है तो खामोश समुद्र बनो जिसके पहलू में कितने तूफान पलते हैं

*दक्षता सीखनी हो तो मकड़ी से सीखो हर दिन टूटे जाले को इतनी दक्षता से बनाता है कि जैसे जाले कभी टूटे ही न हो।

*अक्सर लोगों की नजरे आपकी गलतियों पर होती है खूबियों पे नहीं

*रात में कभी अकेले अपने गलत निर्णय के बारे में सोचना यकीनन आंसू आ जाएंगे फिर बंद कर देंगे किस्मत को बदनाम करना।

*जीवन में रोशनी सभी को चाहिए किंतु जलना कोई नहीं चाहता।

*भारत में हर बच्चे को बचपन से ही जाती धर्म व किस्मत की बीमारी से ग्रसित कर दिया जाता है। कुछ बच्चे जीवाणु की तरह प्रतिरोधी हो जाते हैं।

*बड़ी अजीब है ये दुनिया यहां झूठ बोलने से नहीं सच बोलने से रिश्ते टूट जाते हैं।

*जिंदगी है इम्तिहान तो लेगी पास करनी है या किस्मत के नाम पे आंसू बहाना है ये आपकी सोच पर निर्भर करता है।

*गुस्से से ज्ञान का दीपक बुझ जाते हैं इसलिए गुस्से में कोई भी निर्णय लेने का प्रयास न करें।

*जिद्द कुछ कर गुजरने की हो तो जख्म मायने नहीं रखते।

*जीवन में कई गलत फैसला हम इसलिए स्वीकार लेते हैं की खानदान की इज्जत चली जाएगी और फिर जीवन किस्मत के बैसाखी के सहारे गुजरने लग जाती है।

*डियर फ्रेंड्स किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूं। त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए आपका हृदय से आभारी रहूंगा। कॉमेंट्स में अपना विचार साझा कर मुझे अपना मार्गदर्शन दे सकते हैं, धन्यवाद।