Dolphin or nanhi machli panchtantra stories : डॉल्फिन और नन्हीं मछली पंचतंत्र कहानियां



** डॉल्फिन और नन्हीं मछली

डॉल्फिनों और व्हेलों के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था। जब झगड़ा बहुत ज़्यादा बढ़ गया तो एक नन्हीं सी मछली ने दोनों पक्षों में सुलह कराने की कोशिश की।

डॉल्फिनों ने नन्हीं मछली से कोई भी सहायता लेने से इंकार कर दिया। आश्चर्यचकित मछली ने इसका कारण जानना चाहा।

इस पर एक डॉल्फिन चिल्लाकर बोली, “दूर रहो। हम तुम्हारी जैसी छोटी-सी मछली से सुलह करवाने के बजाय मर जाना पसंद करेंगे। तुम्हारी हमारे सामने क्या बिसात!”

नन्हीं मछली को बहुत बुरा लगा और वह वहाँ से से चली गई।

डॉल्फिनें लड़ते-लड़ते घायल हो गई। एक-एक करके जब वे मरने लगीं, तब भी उनके चेहरे से घमंड झलक रहा था।

घमंडी लोग किसी भी तरह की हानि सह सकते हैं लेकिन अपने से नीचे स्तर के लोगों से सहायता स्वीकार नहीं करते।

**साँप और किसान

एक किसान सर्दी की रात में अपने घर वापस लौट रहा था। रास्ते में उसे एक साँप मिला। ठंड के मारे साँप की जान निकलने ही वाली थी। किसान को उस पर दया आ गई और वह उसे घर ले आया। घर में किसान ने साँप को कुछ देर के लिए आग के पास रख दिया। कुछ ही देर में गर्मी पाकर साँप की हालत ठीक होने लगी। जैसे ही साँप पूरी तरह से सामान्य हुआ, वैसे ही वह फन तानकर खड़ा हो गया और किसान की पत्नी और बच्चों पर हमला कर दिया। किसान ने अपनी पत्नी और बच्चों के चिल्लाने की आवाज़ सुनी तो वह दौड़ा-दौड़ा आया। उस कमरे में आकर उसे यह डरावना दृश्य दिखाई दिया। उसकी पत्नी और बच्चे डर के मारे बेहोश पड़े थे, और साँप उन्हें डंसने के लिए तैयार बैठा था! किसान ने तुरंत एक कुल्हाड़ी उठाई और साँप के
दो टुकड़े कर डाले। साँप के तुरंत प्राण निकल गए। किसी ने सही कहा है, कृतघ्न व्यक्ति पर दया दिखाने का कोई लाभ नहीं होता।

**मुर्गा और लोमड़ी

एक कुत्ता और एक मुर्गा अच्छे दोस्त थे। वे दोनों यात्रा पर निकल पड़े। रात में आराम करने के लिए ये एक पेड़ के नीचे रुके। मुर्गा पेड़ की डाल पर चढ़

गया, जबकि कुत्ता उसी पेड़ के नीचे लेट गया। सुबह होने पर मुर्गे ने बॉग लगाई। उसकी बाँग एक जंगली लोमड़ी को भी सुनाई दे गई। लोमड़ी ने मुर्गे को खा जाने की योजना बनाई।

वह बोली, “तुम तो हमारे साथी जानवरों के लिए बहुत काम के हो। आकर हमारे साथ ही रहो।” मुर्गा उसके इरादे समझ गया और बोला, “ठीक है, मेरे सहायक को जगा दो। वह घंटी बजा देगा।” जैसे ही लोमड़ी ने कुत्ते को जगाया, कुत्ता उस पर झपट पड़ा और उसे तुरंत

मार डाला।

दूसरों के लिए गड्ढे खोदने वाला व्यक्ति कई बार स्वयं ही उस गड्ढे में गिर जाता है।

** हवा और चंद्रमा

एक शेर और एक बाघ अच्छे दोस्त थे और साथ में रहते थे। पास में ही एक साधु रहता था। एक दिन बाघ बोला, “जब चंद्रमा छोटा होता जाता है, तो सर्दियाँ आने लगती हैं।” शेर ने जवाब दिया, “तुम मूर्ख हो, जब चंद्रमा बढ़ते-बढ़ते पूरी तरह से विकसित हो जाता है, तब

सर्दियाँ आती हैं।”

सही उत्तर जानने के लिए वे दोनों दोस्त साधु के पास गए।

साधु बोला, “चंद्रमा की किसी भी स्थिति में सर्दी हो सकती है, चाहे उसका आकार बढ़ रहा हो अथवा कम रहा हो। सर्दी तो हवा की वजह से होती है, अब चाहे वह पश्चिम दिशा से आए, उत्तर दिशा से आए या पूर्व दिशा से आए। इस प्रकार, तुम दोनों ही सही हो।” साधु ने यह भी बताया, “सबसे महत्वपूर्ण बात बिना झगड़े के और एकजुट होकर रहना है।” उसके बाद दोनों अच्छे दोस्तों की तरह प्रसन्नतापूर्वक रहने लगे। मौसम तो आते-जाते रहे, पर उनकी दोस्ती हमेशा बनी रहीं।

** शेरनी

एक बार जंगल के सारे जानवरों में इस बात को लेकर बहस होने लगी कि कौन-सा जानवर एक बार में सबसे ज़्यादा बच्चों को जन्म दे सकता है। भेड़िया शान बधारते हुए बोला, “कम से कम पाँच।” बाकी जानवर और बढ़ा-चढ़ाकर बोलते गए। इसके बाद उन्होंने शेरनी के पास जाने का निश्चय किया।

सारे जानवर शेरनी को कहने लगे, “तुम तो रानी हो। तुम एक बार में कितने बच्चे पैदा कर सकती हो? हम लोगों में से कई एक बार में बहुत सारे बच्चों को जन्म दे सकते हैं। हम श्रेष्ठ है।”

“अरे! ऐसी बात है! मैं तो एक बार में बस एक ही बच्चे को जन्म दे सकती हूँ,” शेरनी बोली। सारे जानवर हँसने लगे और शेरनी का मजाक उड़ाने लगे।

इस पर शेरनी बोली, “एक बात पर ध्यान दो साथियों। वह ‘एक’ बच्चा आखिरकार होगा शेर ही!”

सिर्फ संख्या से कोई फर्क नहीं पड़ता, असली महत्व गुणों का होता है।

** बंदर और मगरमच्छ

एक बंदर और एक मगरमच्छ आपस में दोस्त थे। मगरमच्छ की माँ को बंदर का हृदय बहुत स्वादिष्ट

लगता था। उसने मगरमच्छ से कहा कि वह उसके लिए बंदर का हृदय लाए।

मगरमच्छ ने बंदर से कहा, “उस टापू के फल पक गए हैं। मैं तुम्हें वहाँ ले चलता हूँ।” बंदर के मुँह में पानी आने लगा। वह उछलकर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। दोनों टापू की ओर चल पड़े। रास्ते में मगरमच्छ ने बताया, “मेरी माँ तुम्हारा हृदय खाना चाहती है और मैं तुम्हें उसके पास ही लिए जा रहा हूँ।” बंदर चुपचाप सोचने लगा। कुछ देर बाद वह बोला, “अरे, लेकिन मैं तो अपना हृदय पेड़ पर ही छोड़ आया हूँ। तुम्हें मेरा हृदय चाहिए तो मुझे वापस वहीं ले चलो।” चतुर बंदर ने बात बनाई।

मूर्ख मगरमच्छ बंदर को वापस नदी के तट पर ले आया। जैसे ही वे तट के पास पहुँचे, बंदर उछलकर पेड़ पर चढ़ गया और उसकी जान बच गई।



** बंदर और घंटी

एक बार जंगल में बंदरों के एक झुंड को एक घंटी पड़ी मिली। हर रात बंदर घंटी की मधुर धुन सुनने लगे।

गाँव वाले घंटी की आवाज़ को डरावना मानकर उससे डरने लगे। तब गाँव की एक बुद्धिमान महिला जंगल गई और उसे असलियत का पता लग गया।

उसे पता लग गया कि बंदरों का एक झुंड ही घंटी बजाया करता है।

उसने जंगल में एक पेड़ के नीचे कुछ मूँगफली के दाने और फल रख दिए। इसके बाद वह महिला कुछ दूर बैठकर देखने लगी।

बंदरों ने घंटी छोड़ दी और पेड़ के नीचे रखे खाने के सामान पर झपट पड़े। उस महिला ने जल्दी से वह घंटी उठा ली और गाँव वापस आ गई। गाँव वालों ने उस महिला की बुद्धि की सराहना की।

मामूली बातों से किसी को घबराना नहीं चाहिए। बुद्धि और साहस से सारी परेशानियों का सामना किया जा सकता है।

** बैल और कसाई

एक बार बैलों ने कसाई के चंगुल से मुक्त होने का निश्चित किया। “देखो तो इन दुष्ट कसाइयों को,” वे आपस में कहते। “इन लोगों ने तो जन्म ही हमारी हत्या करने के लिए लिया है! हमें खुद ही इनके विरुद्ध लड़ाई लड़नी होगी।” इस तरह की चर्चा के बाद बैल अपने सींग पैने करने लगे। तभी एक बूढ़ा बैल वहाँ पर आ गया। इसकी राय कुछ अलग थी। “देखो मित्रों,” वह बोला, “यह ज़रूर देख लेना कि जो तुम लोग करने जा रहे हो, वह सही है न! इसमें कोई संदेह नहीं कि ये कसाई हमें मार डालते हैं, लेकिन इस लड़ाई में अगर हम कहीं किसी और बुरी हालत में न फंस जाएँ? फिर तो हमें दुगुनी मौत मिलेगी। सारे मनुष्य कसाइयों के बिना तो रह लेंगे, लेकिन क्या वे हमारा माँस खाना बंद कर देंगे? नहीं। तो कुछ भी करने से पहले एक बार फिर सोच लो। एक बुराई से बचने के लिए दूसरी बुराई को न्यौता देने में कोई समझदारी नहीं है।”

** दो कुत्ते

एक बार एक कुत्ते की मुलाकात एक सज्जन व्यक्ति के कुत्ते से हुई। दोनों ने रसोई में जाने की योजना बनाई। अजनबी कुत्ता पिछले दरवाज़े से रसोई में घुसा और कुछ स्वादिष्ट खाने के इरादे से अपनी पूँछ हिलाने लगा। अचानक रसोइए की निगाह उस पर पड़ी और उसने उसकी टाँगें पकड़ ली और उसे उठाकर रसोई से बाहर फेंक दिया। कुत्ता बगीचे में जाकर गिरा और चिल्लाने लगा। वह उठा और बगीचे से बाहर भाग गया। जब यह भाग रहा था, तभी सज्जन व्यक्ति का कुत्ता आया और पूछने लगा, “अरे दोस्त! कैसा स्वाद था?” दूसरा कुत्ता बोला, “दोस्त! मुझे चक्कर से आ रहे हैं। मुझे अपना घर नहीं मिल पा रहा है।”

जो लोग पिछले दरवाज़े से घुसते हैं, उन्हें अक्सर खिड़की से फेंक दिया जाता है।

** हाथी को चुनौती देने वाला भँवरा

एक दिन गोबर में रहने वाले भँवरे की निगाह मेज़ पर रखी शराब की खाली बोतल पर पड़ी। यह बोतल के पास गया और उसमें बची-खुची बूँदें पी गया जिससे उसे नशा चढ़ गया। इसके बाद वह खुशी-खुशी गुंजन करता हुआ वापस गोबर के ढेर में चला गया। पास से ही एक हाथी गुज़र रहा था। गोबर की गंध की वजह से वह दूर हट गया और सीधा जाने लगा। नशे में चूर भँवरे को लगा कि हाथी उससे डर गया है।

उसने वहीं से हाथी को आवाज़ लगाई और उसे लड़ने की चुनौती देने लगा।

“इधर आ, मोटे! मुझसे मुकाबला कर। देखते हैं कौन जीतता है, वह हाथी की ओर देखकर चिल्लाया। हाथी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। नशे की धुन में भँवरा उसे लगातार चुनौती देता रहा। आखिरकार, हाथी का धीरज खत्म हो गया। उसने गुस्से में आकर भँवरे पर सूंड से पानी फेंक दिया। भँवरे की वहीं जान निकल गई। शराब का नशा व्यक्ति को अपने बारे में गलतफहमी पैदा कर देता है।

** मेंढक और गधा

एक गधा एक कीचड़ भरे मैदान में घास चर रहा था। उसका पैर एक झाड़ी पर पड़ा और उससे दो-तीन मेंढक मर गए। एक छोटा मेंढ़क अपनी माँ के पास जाकर बोला, “माँ एक बहुत बड़ा जानवर आया है और उसने बहुत सारे मेंढ़कों को मार डाला है। उसकी माँ ने पूछा, “कितना बड़ा है वह ? मेरे जितना ?” बच्चा बोला, “नहीं। और

भी बड़ा।” उसकी माँ ने अपने अंदर हवा भरकर स्वयं को और फुला दिया और पूछने लगी, “इतना ?”

बच्चा बोला, “नहीं। और अधिक बड़ा।”

उसकी माँ ने पूरा जोर लगाकर जितनी ज़्यादा हवा अपने अंदर भर सकती थी, भर ली और बोली, “अब? इतना ही बड़ा तो होगा।”

बच्चा बोला, “माँ तुम्हारा पेट फट जाएगा! और ज़्यादा मत फुलाओ।”

उसकी माँ को और जोश आ गया। यह स्वयं को और अधिक फुलाती चली गई और आखिरकार फटाक की आवाज़ के साथ उसका पेट फट गया! कोई भी प्राणी मनचाहा आकार नहीं पा सकता।

**क्रूर पक्षी धनेश

एक धनेश पक्षियों का राजा था। यह बहुत अन्यायी और क्रूर था। सभी पक्षियों ने उसकी जगह बुलबुल को अपना राजा बनाने का निश्चय किया। उल्लू ने कहा, “मेरे पास एक योजना है।”

उसकी योजना के अनुसार, उल्लू और अन्य पक्षियों ने धनेश से एक मोटी डाली तोड़ने को कहा। उसने अपनी मज़बूत चोंच डाली पर मारी लेकिन डाली को कोई नुकसान नहीं हुआ।

तब, उल्लू ने एक और मोटी डाली की ओर इशारा किया और बुलबुल से उसे तोड़ने को कहा। सबको हैरानी में डालते हुए बुलबुल ने उस डाली को तोड़ दिया। सबने उसे राजा बना दिया।

वास्तव में, कठफोड़वा ने काफी दिनों से उस डाली को चोंच मार-मारकर खोखला कर दिया था। ऐसे में उस डाली को तोड़ने के लिए हल्के से बल की ही आवश्यकता थी। बस इसी का लाभ बुलबुल ने उठाया और डाली तोड़ दी थी।

** सियार और साधु

एक दुष्ट सियार हर रात पड़ोस के गाँव जाता और लोगों के मकानों से स्वादिष्ट भोजन चोरी करके ले आता। गाँव वाले चोर को पकड़‌ना चाहते थे लेकिन वह उनकी पकड़ में नहीं आ पा रहा था।

एक दिन जब सियार गाँव में गया तो उसने पाया कि बहुत सारे गाँव वाले उसकी

तलाश कर रहे हैं। कुछ देर बाद उसने रास्ते में आते एक साधु को देखा। दयनीय आवाज़ में दुष्ट सियार उससे बोला, “भले आदमी, मैं घायल हो गया हूँ। मुझे अपने थैले में रखकर मेरे घर तक छोड़ आओ, तो बड़ी कृपा होगी।”

साधु उसकी मदद करने को खुशी-खुशी तैयार हो गया। जब सियार अपनी गुफा के पास पहुँचा, तो वह चिल्लाया, “यह थैले वाला आदमी ही चोर है!” यह कहकर सियार गुफा में घुस गया। गाँव वालों ने साधु को चोर समझकर पकड़ लिया।

इसीलिए कहा गया है कि आँख मूंदकर हर किसी का विश्वास नहीं करना चाहिए।

**बरगद के पेड़ का जन्म

तीन दोस्त थे-कौआ, चंदर और हाथी। तीनों के बीच अक्सर किसी न किसी बात पर मतभेद हो जाते, लेकिन वे किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पाते। एक दिन वे एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे।

तभी बंदर बोला, “जब तुम लोगों ने इस पेड़ को देखा था तो इसका आकार कितना था ?”

हाथी बोला, “जब मैं बच्चा था, तब मैं इसकी नर्म-नर्म डालियों से अपना पेट रगड़ा करता था।”

“जब में छोटा था, तब मैंने कुछ बेर खाए थे और उसकी कुछ गुठलियाँ यहाँ डाल दी थी। उन्हीं गुठलियों से यह पेड़ उगा है,” कौआ आराम से बोला।

उसकी बात सुनकर बंदर बोला, “दोस्त, जब मैंने पहली बार इसे देखा था तो यह एक पौधा ही था। तो, अब भाई, अब ऐसा लगता है कि तुम्हीं हम सब लोगों से बड़े हो। अब हम तुम्हारी ही राय सुना करेंगे।”

** दो बच्चे और नन्हा सुअर

एक व्यक्ति के पास दो बछड़े थे। उसके पास एक छोटा-सा सुअर भी था। मालिक सुअर की बहुत अच्छी तरह से देखभाल करता था और उसे दलिया खिलाया करता था। दोनों बछड़ों को खेत में कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी और तब कहीं उन्हें सिर्फ घास और चारा खाने को मिलता था।

छोटा बछड़ा सुअर से बहुत जलता था। “हम इतनी कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन अच्छा-अच्छा खाना उसे मिलता है?” छोटा बछड़ा बड़े बछड़े से शिकायत करता था।

“अरे नहीं,” बड़ा बछड़ा समझाने लगता, “किसी दूसरे से कभी जलन नहीं रखनी चाहिए। हमें क्या पता दूसरे को इस खातिरदारी की क्या कीमत चुकानी पड़े ?” जल्द ही उस व्यक्ति की लड़की की शादी होने वाली थी। शादी के दिन सुअर को गोश्त के लिए मार डाला गया।

यही वह कारण था, जिसकी वजह से उसे बहुत अच्छा खिलाया-पिलाया जा रहा था।

**बंदर और सँपेरा

एक संपेरा था। उसके पास कुछ साँप थे और एक बंदर या। वह अपने इन पालतू जानवरों के साथ बुरा बरताव करता था। एक रात उसने बंदर की पिटाई की। बंदर वहाँ से भाग गया। सँपेरे ने महसूस किया कि लोग बंदर के न होने पर उसका खेल पसंद नहीं कर रहे हैं। वह बंदर को ढूँढ़ने गया। उसने एक पेड़ पर बंदर को बैठे देखा।

“अरे प्यारे बंदर, मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है! चलो, घर-चलो!” वह चिल्लाया। “झूठे, तुम इसलिए मुझे ढूँढ़ने नहीं आए हो कि तुम मुझे प्यार करते हो। तुम इसलिए आए हो क्योंकि मेरे बिना तुम्हारा खेल कोई नहीं देखता और तुम्हें कमाई नहीं हो पा रही है।” बंदर गुस्से से बोला। सँपेरे को खाली हाथ लौटना पड़ा, लेकिन उसे एक अच्छा सबक मिल गया कि सभी जानवरों को प्यार और सम्मान देना चाहिए।

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है।
दोस्तों यहां दी गई जानकारी किताबें, इंटरनेट और मेरे दृष्टिकोण पर आधारित है किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूं । किसी भी प्रकार की त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए कमेंट में आप अपना बहुमूल्य विचार साझा कर सकते हैं। जिसके लिए मैं आपका हृदय से आभार रहूंगा, धन्यवाद।

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