Dr. Rajendra Prasad life and quotes : डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, जीवन और विचार।
स्वतंत्र भारत के पहले बिहार के लाल जो भारत के प्रथम राष्ट्रपति बनें।
डॉ राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। 1950 से 1962 तक भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
डॉ राजेंद्र प्रसाद का नारा —
सादा जीवन, उच्च विचार’ के अपने सिद्धांत को अपनाने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपनी वाणी में हमेशा ही अमृत बनाए रखते थे।
राजेंद्र प्रसाद का जन्म ब्रिटिश राज के दौरान बिहार के सीवान जिले के ज़िरादेई में एक कायस्थ परिवार में हुआ था ।उनके पिता, महादेव सहाय श्रीवास्तव, संस्कृत और फ़ारसी दोनों भाषाओं के विद्वान थे । उनकी माँ, कमलेश्वरी देवी, एक धर्मनिष्ठ महिला थीं जो अपने बेटे को रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाती थीं। वह सबसे छोटा बच्चा था और उसका एक बड़ा भाई और तीन बड़ी बहनें थीं। जब वह बच्चे थे तभी उनकी माँ की मृत्यु हो गई और तब उनकी बड़ी बहन ने उनकी देखभाल की।
प्रसाद ने एक शिक्षक के रूप में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में कार्य किया। अर्थशास्त्र में एमए पूरा करने के बाद, वह बिहार के मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर बने और प्रिंसिपल बन गये। हालाँकि, बाद में उन्होंने कानूनी अध्ययन करने के लिए कॉलेज छोड़ दिया और रिपन कॉलेज, कलकत्ता (अब सुरेंद्रनाथ लॉ कॉलेज ) में प्रवेश किया। 1909 में, कोलकाता में कानून की पढ़ाई करते हुए उन्होंने कलकत्ता सिटी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में भी काम किया ।
1915 में, प्रसाद कलकत्ता विश्वविद्यालय के विधि विभाग से मास्टर इन लॉ की परीक्षा में शामिल हुए , परीक्षा उत्तीर्ण की और स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून में डॉक्टरेट की उपाधि पूरी की । 1916 में, वह बिहार और ओडिशा के उच्च न्यायालय में शामिल हुए। 1917 में, उन्हें सीनेट और पटना विश्वविद्यालय के पहले सदस्यों में से एक के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने बिहार के प्रसिद्ध रेशम शहर भागलपुर में भी वकालत की ।
डॉ राजेंद्र प्रसाद के अनमोल व सकारात्मक विचार से हम अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं। कुछ विचार जो मुझे पसंद आए वह मैं आपके साथ साझा कर रहा हूं:-
*खुद पर उम्र को कभी हावी नहीं होने देना चाहिए।
*किसी की गलत मंशाएं आपको किनारे नहीं लगा सकती।
*दिखावट और फिजूल खर्ची अच्छे मनुष्यों के लक्षण नहीं।
*जो बात सिद्धांत में गलत है वह व्यवहार में भी सही नहीं है।
*जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है वह उन्नत नहीं हो सकता।
*पेड़ो के आसपास चलने वाला अभिनेता कभी आगे नहीं बढ़ सकता।
*मैं एक ऐसे पड़ाव पर हूं जहां खुद की उम्र को बेहद अच्छी तरह समझता हूं।
*यह दिमाग अंडे से नहीं दूध से बना है।
*किसी को दान देते समय तीन बातें ध्यान रखनी चाहिए। पहली किस व्यक्ति को दान देना है ?दूसरी किस समय दान देना है? तीसरी किस जगह पर दान देना है? इन बातों का ध्यान रखेंगे तो किसी जरूरतमंद की मदद अच्छे ढंग से की जा सकती है।
*जो मैं करता हूं उन सभी भूमिकाओं के बारे में सावधान रहता हूं।
*मंजिल को पाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए याद रहे की मंजिल की ओर बढ़ता हुआ रास्ता भी उतना ही नेक हो।
*हर किसी को अपनी उम्र के साथ सीखने के लिए खेलना चाहिए।
*मैं जानता हूं 10 साल पहले किए गए काम दोबारा उसी शिद्दत नहीं कर पाऊंगा।
*गाय की सुरक्षा करना भारत का शाश्वत धर्म है।
*आजकल का सिनेमा तड़क-भड़क और भावनाओं पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करता है।
*मनोरंजन के इस संसार में उम्र बहुत अहम भूमिका निभाती है।






