Oot ka badla : उंट का बदला
एक ऊँट और एक सियार बहुत पक्के दोस्त थे। एक दिन, वे एक खेत में तरबूज खाने
गए। भरपेट तरबूज खाने के बाद सियार हुआ-हुआ चिल्लाने लगा। “अरे, चिल्लाओ मत, तुम्हारा चिल्लाना सुनकर किसान आ जाएगा!” ऊँट ने उसे समझाया। “गाना गाए बगैर मेरा खाना नहीं पचता,” सियार ने जवाब दिया। जल्द ही किसान वहाँ आ गया। किसान को आते देख, सियार तो भाग लिया लेकिन किसान ने ऊँट की लाठियों से जमकर पिटाई की।
एक दिन ऊँट ने सियार से कहा, “चलो, नदी में तैरते हैं। मैं तैरूँगा और तुम मेरी पीठ पर बैठे रहना।” सियार तैयार हो गया। ऊँट सियार को पीठ पर बैठाए हुए गहरे पानी में पहुँचा, तो डुबकी लगाने लगा। सियार चिल्लाने लगा, “अरे, यह क्या कर रहे हो ? मैं डूब जाऊँगा।” “लेकिन मैं तो पानी में जाकर डुबकी लगाता ही हूँ। मेरी सेहत के लिए यह बहुत अच्छा होता है,” ऊँट बोला और सियार को मँझधार में छोड़, गहरे पानी में डुबकी लगाने लगा।
Jhutha Dost : झूठा दोस्त
एक हिरन और एक कौआ पक्के दोस्त थे। एक दिन कौए ने हिरन को एक सियार के साथ देखा। सियार बहुत चालाक जानवर माना जाता है। कौए ने अपने दोस्त हिरन को समझाया कि सियार पर भरोसा नहीं करना चाहिए। हिरन ने कौए की सलाह पर ध्यान नहीं दिया और सियार के साथ एक खेत में चला गया। हिरन वहाँ लगे जाल में फँस गया। सियार उससे कहने लगा, “मैं तो किसान को बुलाने जा रहा हूँ। वह आएगा और तुम्हें मार डालेगा। मुझे भी वह तुम्हारे गोश्त का हिस्सा देगा।” हिरन चिल्लाने लगा। कौए ने अपने दोस्त के चिल्लाने की आवाज़ सुनी तो तुरंत उसकी सहायता के लिए आ गया। उसने हिरन से कहा कि वह ऐसे लेट जाए, जैसे वह सचमुच मर गया हो।
थोड़ी ही देर में, सियार की आवाज़ सुनकर किसान वहाँ आ पहुँचा। उसने देखा कि जाल में हिरन तो मरा पड़ा है। उसने जाल खोल दिया। जाल खुलते ही हिरन को मौका मिल गया और वह तुरंत उछलकर वहाँ से भाग गया। गुस्साए किसान ने सियार की पिटाई कर दी और उसे वहाँ से भगा दिया।
Murgi or baaz : मुर्गी और बाजq
एक बाज और एक मुर्गी आपस में बातें कर रहे थे। बाज ने मुर्गी से कहा, “तुम सबसे अधिक अहसानफरामोश पक्षी हो।” “ऐसा क्यों कह रहे हो ?” मुर्गी ने गुस्से से पूछा। बाज ने जवाब दिया, “तुम्हारा मालिक तुम्हें खाना खिलाता है लेकिन जब वह तुम्हें पकड़ने के लिए आता है, तो तुम इस कोने से उस कोने तक उड़ने लगती हो। मैं तो जंगली पक्षी हूँ, फिर भी मैं दयालु लोगों का ख्याल रखता हूँ।”
मुर्गी धीरे से बोली, “अगर तुम किसी बाज को आग पर भुनते हुए देखो, तो तुम्हें कैसा लगेगा ? मैंने यहाँ सैकड़ों मुर्गे-मुर्गियों को आग पर भूने जाते हुए देखा है। अगर तुम मेरी जगह होते, तो तुम भी अपने मालिक को कभी अपने पास नहीं आने देते। मैं तो सिर्फ इस कोने से उस कोने तक ही उड़ती हूँ, पर तुम तो पहाड़ियों पर उड़ते फिरते।”
Chuha bangaya sher : चूहा बन गया शेर
एक दिन, एक साधु ने देखा कि एक बिल्ली एक चूहे को खदेड़ रही थी। साधु ने अपनी अलौकिक शक्तियों से उस चूहे को बिल्ली बना दिया और उसकी जान बच गई। एक दिन उस बिल्ली के पीछे एक कुत्ता दौड़ पड़ा। अब साधु ने उसको कुत्ता बना दिया। एक बार उस कुत्ते पर शेर ने हमला कर दिया। साधु ने तुरंत उस कुत्ते को शेर बना दिया।
जो गाँव वाले इस नए शेर का रहस्य जानते थे, वे उसका मजाक उड़ाते थे। उनके लिए वह एक पिद्दी-सा चूहा ही था, जो शेर बना फिरता था! अब इस शेर ने सोचा कि जब तक यह साधु जीवित रहेगा, सब लोग उसका ऐसा ही मजाक उड़ाते रहेंगे।
साधु ने इस शेर को अपनी ओर आते देखा,
तो उसके इरादे समझ गया। साधु बोला, “जाओ, तुम फिर से चूहा ही बन जाओ। तुम अहसानफरामोश हो और शेर बनने लायक नहीं हो।”
और इस प्रकार वह शेर सिकुड़कर दुबारा चूहा बन गया।
Kurup per : कुरूप पेड़
बहुत समय पहले, एक जंगल में बहुत सारे सीधे तने हुए, सुंदर-सुंदर पेड़ थे। उसी जंगल में एक पेड़ अलग-थलग सा था। उसका तना झुका हुआ और टेढ़ा-मेढ़ा था। उसकी डालियाँ भी टेढ़ी-मेढ़ी थीं।
अपनी इस हालत की वजह से वह पेड़ काफी उदास रहता था। जब भी वह दूसरे पेड़ों की ओर देखता, तो आह भरने लगता, “काश, मैं भी बाकी पेड़ों की तरह सुंदर होता। भगवान ने मेरे साथ बड़ा अन्याय किया है।”
एक दिन, एक लकड़हारा उस जंगल में आया। उसकी निगाह उस टेढ़े-मेढ़े पेड़ पर पड़ी। वह तिरस्कार भरे स्वर में बोला, “यह टेढ़ा-मेढ़ा पेड़ मेरे किस काम का ?” और तब उसने बाकी
सारे सीधे और सुंदर पेड़ों को काट डाला। तब उस टेढ़े-मेढ़े पेड़ को समझ में आया कि भगवान ने उसे टेढ़ा-मेढ़ा और कुरूप बनाकर उसके साथ कितना अच्छा किया क्योंकि उसके इसी आकार की वजह से ही उसकी जान बच पाई।
Kritagn sher : कृतध्न शेर
बहुत समय पहले, एक जंगल में बहुत सारे सीधे तने हुए, सुंदर-सुंदर पेड़ थे। उसी जंगल में एक पेड़ अलग-थलग सा था। उसका तना झुका हुआ और टेढ़ा-मेढ़ा था। उसकी डालियाँ भी टेढ़ी-मेढ़ी थीं।
अपनी इस हालत की वजह से वह पेड़ काफी उदास रहता था। जब भी वह दूसरे पेड़ों की ओर देखता, तो आह भरने लगता, “काश, मैं भी बाकी पेड़ों की तरह सुंदर होता। भगवान ने मेरे साथ बड़ा अन्याय किया है।”
एक दिन, एक लकड़हारा उस जंगल में आया। उसकी निगाह उस टेढ़े-मेढ़े पेड़ पर पड़ी। वह तिरस्कार भरे स्वर में बोला, “यह टेढ़ा-मेढ़ा पेड़ मेरे किस काम का ?” और तब उसने बाकी
सारे सीधे और सुंदर पेड़ों को काट डाला। तब उस टेढ़े-मेढ़े पेड़ को समझ में आया कि भगवान ने उसे टेढ़ा-मेढ़ा और कुरूप बनाकर उसके साथ कितना अच्छा किया क्योंकि उसके इसी आकार की वजह से ही उसकी जान बच पाई।
Ghora or gadha :घोड़ा और गद्हा
एक धोबी के पास एक घोड़ा और एक गधा था। एक दिन, धोबी ने कपड़ों की भारी पोटली गधे की पीठ पर लाद दी। घोड़े के ऊपर कुछ नहीं लादा।
गधे के ऊपर लदा बोझा काफी भारी था। उसने घोड़े से अनुरोध किया, “भाई! मैं इस बोझ के मारे मरा जा रहा हूँ। कुछ बोझा अपने ऊपर ले लो।”
घोड़े ने साफ इन्कार कर दिया, “मैं क्यों तुम्हारा बोझा लादूँ? घोड़े तो सवारी के लिए होते हैं, बोझा ढोने के लिए नहीं।”
गधा चलता रहा। कुछ देर बाद गधा बोझा नहीं सह पाया और गिर पड़ा। अब धोबी को अपनी गलती समझ में आई। उसने गधे को पानी पिलाया और सारा बोझा घोड़े के ऊपर लाद दिया।
अब घोड़ा पछताने लगा। वह सोचने लगा, “अगर मैंने गधे की बात मानकर उसका आधा बोझा अपनी पीठ पर ले लिया होता, तो मुझे पूरा बोझा लादकर बाज़ार तक इस तरह नहीं जाना पड़ता !”
Haud me para kutta : हौद में पड़ा कुत्ता
एक बाड़े में एक कुत्ता रहता था। वह हमेशा घोड़ों का चारा रखने की हौद में मुलायम सूखी घास पर सोता रहता था। वैसे कुत्ते का भोजन तो बाड़े के बाहर अहाते में रखा जाता था लेकिन स्वार्थी कुत्ता उसी हौद में पड़ा रहता था। इतना ही नहीं, जब घोड़े खाना खाने आते,
तो वह उन पर भौंकने भी लगता। बेचारे घोड़े अपना खाना तक नहीं खा पाते थे! वे कुत्ते को बताते कि किसान ने अहाते में उसके लिए हड्डियाँ रखी हैं, लेकिन कुत्ता हौद से बाहर निकलने को तैयार ही नहीं होता था।
“कितना स्वार्थी कुत्ता है!” घोड़ों ने आपस में कहा। “वह जानता है कि वह घास नहीं खा सकता लेकिन वह खुद भी भूखा रहता है और हमें भी भूखा रखता है!”
Kingkobra or chitiya : किंग कोबरा और चींटियां
बहुत समय पहले की बात है, एक भारी किंग कोबरा एक घने जंगल में रहता था। वह रात में शिकार करता था और दिन में सोता रहता था। धीरे-धीरे वह काफ़ी मोटा हो गया और पेड़ के जिस बिल में वह रहता था, वह उसे छोटा पड़ने लगा। वह किसी दूसरे पेड़ की तलाश में निकल पड़ा।
आखिरकार, कोबरा ने एक बड़े पेड़ पर अपना घर बनाने का निश्चय किया, लेकिन उस पेड़ के तने के नीचे चींटियों की एक बड़ी बाँबी थी, जिसमें बहुत सारी चींटियाँ रहती थीं। वह गुस्से में फनफनाता हुआ बाँबी के पास गया और चींटियों को डाँटकर बोला, “मैं इस जंगल का राजा हूँ। मैं नहीं चाहता कि तुम लोग मेरे आस-पास रहो। मेरा आदेश है कि तुम लोग अभी अपने रहने के लिए कोई दूसरी जगह तलाश लो। अन्यथा, सब मरने के लिए तैयार हो जाओ!”
चींटियों में काफ़ी एकता थी। वे कोबरा से बिलकुल भी नहीं डरीं। देखते ही देखते हज़ारों चींटियाँ बाँबी से बाहर निकल आईं। सबने मिलकर कोबरे पर हमला बोल दिया। उसके पूरे शरीर पर चींटियाँ रेंग-रेंगकर काटने लगीं! दुष्ट कोबरा दर्द के मारे चिल्लाते हुए वहाँ से भाग गया।
Shaitan memna : शैतान मेमना
एक बकरी अपने शैतान बच्चे के साथ रहती थी। एक दिन सुबह, उछलते-कूदते मेमना जंगल की ओर चला गया। उसकी माँ ने बच्चे को काफी मना किया कि वह घने-अंधेरे जंगल में अकेले न जाए। उसने कहा, “वहाँ बहुत सारे जंगली और ख़तरनाक जानवर होंगे। बेटे, वहाँ अकेले मत जाओ।” “माँ, चिंता मत करो। मैं ज़्यादा दूर नहीं जाऊँगा,” मेमने ने जवाब दिया।
नन्हाँ मेमना उछल-कूद करते हुए खेल में मग्न हो गया और उसे पता ही नहीं चला कि वह जंगल में कितने दूर आ गया है। जल्द ही अंधेरा हो गया। अब वह वापस अपनी माँ के पास जाना चाहता था, लेकिन बेचारा डरा-घबराया मेमना रास्ता भूल गया! वह गुम हो चुका था और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह अपनी माँ को पुकारते हुए चिल्लाने लगा। उसे अपने आरामदायक घर की याद सताने लगी। उसे महसूस हुआ कि उसने अपनी माँ की बात न मानकर बड़ी गलती कर दी। तभी, एक भेड़िया वहाँ आ पहुँचा और बोला, “अरे! आज रात तो मैं इसी मेमने का स्वादिष्ट गोश्त खाऊँगा !”
भेड़िए ने झपटकर मेमने को दबोच लिया। बेचारे मेमने को अपनी माँ की बात न मानने का दंड भुगतना पड़ा।
Bolne wali gufa : बोलने वाली गुफा
एक जंगल में एक शेर रहता था। एक दिन वह आराम करने के लिए जगह तलाश कर रहा था, कि उसे एक बड़ी गुफा दिखाई दी। शेर ने अंदर देखा, उसे कोई नहीं दिखा। शेर को लग तो रहा था कि कोई न कोई तो इस गुफा में अवश्य रहता है, लेकिन उसे वह गुफा इतनी पसंद आई कि उसका मन उसी में रहने का करने लगा। वह गुफा एक सियार की थी। थोड़ी ही देर में शाम हो गई और सियार अपनी गुफा में आ गया। गुफा के बाहर उसे शेर के पैरों के निशान दिखाई दिए। सियार बहुत होशियार था। वह सतर्क हो गया। वह शेर का शिकार नहीं बनना चाहता था! गुफा में शेर है या नहीं, यह पता करने के लिए सियार ने एक चाल चली। वह जोर से चिल्लाया, “ओ गुफा! अगर तुमने रोज़ की तरह मुझसे बात नहीं की, तो मैं यहाँ से चला जाऊँगा।”
शेर ने सियार की आवाज़ सुनी तो उसके मन में लालच आ गया। उसने गुफा के बदले जवाब देने का निश्चय किया। उसने दहाड़ मार दी। शेर की दहाड़ सुनकर चतुर सियार समझ गया और जान बचाकर भाग गया।
* दोस्तों यहां दी गई जानकारी किताबें, इंटरनेट और मेरे दृष्टिकोण पर आधारित है किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूं । किसी भी प्रकार की त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए कमेंट में आप अपना बहुमूल्य विचार साझा कर सकते हैं। जिसके लिए मैं आपका हृदय से आभारी रहूंगा, धन्यवाद।