Apart from the syllabus, books should also be read: पाठ्यक्रम के अलावा भी किताबें पढ़नी चाहिए ।

आज की शिक्षा व्यवस्था मानसिक रूप से गुलाम बना रही है, जहां हमें एक सीमित दायरे में सोचने व सपने देखने की इजाजत मिलती है‌

भारत में यह और भी गहरी समस्या बनती जा रही है क्योंकि विज्ञान जितनी तेजी से नई चीज हमारे समक्ष ला रहा है। उतनी तेजी से अभिभावक वर्तमान सोच के अनुसार ढ़ल नहीं पा रहे हैं तो युवाओं को समस्याओं का सामना अधिक करना पड़ रहा है।

भारत में नई सोच या कुछ नया कर पाना आसान नहीं है। इस संदर्भ में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी किताब “आपका भविष्य आपके हाथ में” बहुत ही खूबसूरत जवाब दिया है —

” जब लोग दूसरों को कुछ ऐसा करते देखे हैं जिसे सामान्य व्यवहार से अलग माना जाता है तो वह रूखेपन से पेश आ सकते हैं कभी-कभी लोग निराशाजनक और नकारात्मक बातें करने लगते हैं।”

नई सोच के साथ आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की यह लाइन कुछ नया कर गुजरने के लिए ब्रह्मास्त्र का काम कर सकती है —

आलोचनाओं को पीछे छोड़ जीने के लिए बड़ा साहस चाहिए”

जब मैं बच्चों को सुबह-सुबह स्कूल जाते देखता हूं तो मन में यह सवाल उठा करता था की बच्चों का बैग इतना भारी क्यों होता है कि वह स्वयं अपने पीठ पर उठाकर अच्छे से चल नहीं पाते तो क्या शिक्षा के लिए इतनी किताबें जरूरी है या कुछ गलत हो रहा है ।आप अक्सर सुबह देखेंगे की पेरेंट्स अपने बच्चों का बैग खुद अपने पीठ पर लेकर स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं क्योंकि वह बहुत भारी है।

इसके नुकसान के बारे में यदा-कदा न्यूज़ व समाचार में आता रहता है फिर भी हमारी शिक्षा व्यवस्था इस पर कोई विशेष उपाय नहीं कर पा रही।

इसका जवाब कबीर दास के इन पंक्तियों से मिलता है “पोथी पढ़-पढ़ ज मुआ पंडित भया न कोई ढाई आखर प्रेम से पढ़े सो पंडित होय”

अर्थात– बड़ी-बड़ी किताबें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुंच गए पर सभी विद्वान ना हो सके कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह से पढ़ ले अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा।

वर्तमान शिक्षा व्यवस्था विशेष कर भारतीय शिक्षा युवाओं को रुचि के अनुसार नहीं दी जा रही अर्थात किसी को खेल में कैरियर बनाना है तो भी उसे सामान्य शिक्षा के बावजूद उच्च शिक्षा को हासिल करने की मजबूर किया जाता है ताकि सरकारी नौकरी लग जाए तो जीवन सुख से बीतेगा।

भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के जीवन से इस बात की स्पष्ट झलक व जानकारी मिलती है और इन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ क्रिकेट खेलने का फैसला किया और आज अपने रुचि के करियर में एक अलग मुकाम हासिल कर विश्व में अपना अलग कीर्तिमान रच डाला । यह बात सभी को पता है फिर भी भारतीय अभिभावक कुछ भी सीखने को तैयार ही नहीं है और शिक्षा व्यवस्था तो “लकीर की फकीर” की तरह है।

भारतीय अविभावक तो अपने बच्चों के सवाल से ही घबराते हैं। जब मैं भगवत गीता को पढ़ा तो अर्जुन के सवाल से मैं स्वयं परेशान हो गया इतना सवाल पर सवाल वह कैसे पूछ रहा था तो इसी संदर्भ में मैंने एक लाइन लिखी थी–

अर्जुन की तरह युवा सवाल पर सवाल पूछे तो पेरेंट्स अभिभावक या शिक्षक… बच्चों या युवाओं की कितनी कुटाई करेंगे

भारतीय पेरेंट्स में सरकारी नौकरी में करियर को लेकर इतना जुनून है कि उसके आगे बच्चों व युवाओं के प्राकृतिक रुचि को दरकिनार कर दिया जाता है और अंततः युवाओं द्वारा आत्महत्या जैसे गलत कदम तक उठा लिया जाता है। मेडिकल या आईआईटी की तैयारी करने वाली जगह पर ऐसी खबरें आराम से समाचार पत्रों और न्यूज़ में प्रकाशित होती ही रहती है।

अब माता-पिता अभिभावक व शिक्षक की सोच को तो बदला नहीं जा सकता क्योंकि जो सोच एक बार मन मस्तिष्क में घर कर जाती है उसे बाहर निकल पाना आसान नहीं होता।

सपने हमारे हैं तो भीड़ से अलग होकर सोचना भी हमें ही होगा जिससे हम अपनी रुचि के करियर व सपने को पूरा कर सकें।

कुछ किताबें हर युवाओं को पढ़नी चाहिए पाठ्यक्रम के बाहर (Out of the syllabus) जिससे आपके अंदर अपनी सोच के प्रति सकारात्मक सोच का जन्म हो सके और अपने सपने के प्रति जुनून नष्ट ना हो पाए।

जरूरी नहीं इन किताबों को एक ही बार खरीद कर पढ़े लेकिन पढ़े जरूर साल में एक किताब भी पढ़े तो बहुत है आप अपने जन्मदिन पर खुद को ऐसी किताबें गिफ्ट कर सकते हैं दोस्तों रिश्तेदारों को भी गिफ्ट कर सकते हैं “कर भला तो हो भला”

1)श्रीमद्भगवद्गीता तत्वविवेचनी – जयदयाल गोयनका गीता प्रेस

 

2)अष्टावक्र गीता

3) मैं मन हूं -दीप त्रिवेदी

4)सत्यार्थ प्रकाश- दयानंद सरस्वती

5) रामचरित्र मानस गीता प्रेस

6) रामायण गीता प्रेस वाल्मीकि

7)आपका भविष्य आपके हाथ में -डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

8)अदम्य साहस -डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम

9) अग्नि की उड़ान -डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

10) तेजस्वी मन -डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम

11) 101 सदाबहार कहानी -दीप त्रिवेदी

12) चाणक्य नीति

13) आपके अवचेतन मन की शक्ति – डॉक्टर जोसेफ मर्फी

“इन किताबों के अलावा सफल इंसान की जीवनी अवश्य पढ़े विशेष कर आप जिस फील्ड में जाना चाहते हैं उस फील्ड के व्यक्ति की किताब”

*रोक सको तो रोक लो अनस्टॉपेबल निक वुई चिक ( मेरी पहली मोटिवेशनल किताब )

“आर्थिक संपन्नता के लिए “

*सोचो और अमीर बानो -नेपोलियन हिल

*रिच डैड पुअर डैड- राबर्ट कि्योक्सकी

*इंटेलीजेंट इन्वेस्टर

* धन का मनोविज्ञान

*बेबीलोन का अमीर आदमी

अगला टाॅपिक — “ज्ञान की इतनी आवश्यकता नहीं “

**अपना बहुमूल्य टिप्पणी कर सकते हैं धन्यवाद ।

3 thoughts on “Apart from the syllabus, books should also be read: पाठ्यक्रम के अलावा भी किताबें पढ़नी चाहिए।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Explore More

Jawahar Navodaya Vidyalaya Career Counseling : जवाहर नवोदय विद्यालय कैरियर काउंसलिंग

February 17, 2024 0 Comments 3 tags

Jawahar Navodaya Vidyalaya Career Counseling : जवाहर नवोदय विद्यालय कैरियर काउंसलिंग। जवाहर नवोदय विद्यालय में करियर काउंसलिंग लिए तो समझ में आया कि बच्चों के अंदर प्रतिभा की कमी नहीं

Thought

November 17, 2023 0 Comments 2 tags

November 15, 2023 2 Comments 0 tags