Birth of positive thoughts in my life part one : मेरे जीवन में सकारात्मक विचारों का जन्म भाग एक।

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Birth of positive thoughts in my life part one : मेरे जीवन में सकारात्मक विचारों का जन्म भाग एक।



*रातें गुजारनी हो न तो हम जाती व धर्म से परे इंसान बन जाते हैं लेकिन जिंदगी गुजारनी हो तो मानसिक बीमार।

*वक्त जैसा भी हो गुजर ही जाता है किंतु धोखे का एहसास का जख्म मृत्यु तक हरा रहता है।

*कोयल की बोली जितनी मीठी होती है उतनी ही नियत की खोटी होती है।

*शिकारी अपने शिकार को फंसाने के लिए बड़ी चतुराई से जाल बिछाता है और सतर्क भी इतना रहता है कि हाथ आए शिकार को कोई और चुरा ना ले।

*जब तक आप अपनी गलतियों पर आत्म चिंतन करना नहीं सीख सकते तब तक अपने भविष्य के निर्माण की और बेहतर मार्ग का चयन नहीं कर सकते।

*खुद के लिए गांधी बनो युवा के लिए भगत सिंह और देश के लिए सुभाष चंद्र बोस।

*दुनिया के सभी धर्म को पुरुषों ने स्थापित किया है। इसलिए पुरुषवादी तत्व की अधिक प्रधानता है और महिलाओं को उपेक्षित रखा गया है।

*एटम बम का स्वभाव है विस्फोट होने पर महाविनाश मचाना ।वैसे ही किस्मत नामक एटम बम का मस्तिष्क में विस्फोट होने से सपने, अरमान ,कुछ कर दिखाने के जज्बे का महाविनाश हो जाता है।

*”अतीत का सोशल मीडिया पत्थर या मिट्टी का मुहूर्त रूप” जैसे आज हम सोशल मीडिया पर अच्छा बुरा कुछ भी कहे बुरा नहीं मानती । वैसे यह मूर्ख रूप कुछ भी कहो बुरा नहीं मानती किंतु मन को अजीब सी शांति का एहसास जरूर करा जाती है।

*किस्मत इस शब्द से बीमार व्यक्ति ही सबसे बेशकीमती वस्तु अपनी उम्र को बर्बाद करते हैं।

*अपने सवाल का जवाब स्वयं ढुंढिये बेशक जवाब देर से मिलेंगे लेकिन वो जवाब बेहतरीन और बेमिसाल होंगे।

*हमेशा हारे हुए को अपना मार्गदर्शक चुनना क्योंकि जीता हुआ व्यक्ति कभी अपनी कमजोरी पे चर्चा नहीं करते।

*बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाएगा सीखा रोना किस्मत का तो किस्मत लिखने का आनंद कहां से पाएगा।

*परिस्थितियों का स्वभाव है बदलते रहना। अगर आपका स्वभाव भी अपने लक्ष्य को बदलते रहना है तो आप यकीनन कभी ऊंचाइयों के दर्शन नहीं कर पाएंगे।

*जो व्यक्ति जाहिर नहीं करते अक्सर वही आपकी सबसे ज्यादा परवाह करते हैं।

*कद्र न करने पर ऊपरवाला भी छीन ही लेता है जनाब वक्त भी और शख्स भी।

*हर रिश्ते को वक्त पर वक्त देना उतना ही जरूरी है जितना वक्त पर पौधों को पानी देना।

*शाम ढलते ही आप सभी कार्य समय पर निपटने का प्रयास करते हैं ,किंतु उम्र ढ़लने पर आप अपनी पीढ़ियों को सभी जिम्मेदारी सौंप कर जीवन का आनंद लेने का प्रयास करते हैं क्या?? विचार कीजिएगा।

*घायल इंसान को जिस व्यक्ति ने मरहम लगाया ,संभवत वह उसका एहसानमंद बन जाए । किंतु वक्त ने महरम लगाया तो उसके विचारों में अविस्मरणीय परिवर्तन होना स्वाभाविक है।

*जब दो रातें आपके बच्चे भूखे सो जाएंगे न तो जाति और धर्म का बुखार उतारने में दो पल का समय नहीं लगेगा। बस लबों पे एक ही दुआ होगी कोई कुछ दे दे,बच्चों का तो पेट भर जाएगा।

*किस्मत से मिली अच्छी जिंदगी पर कभी इतराना मत रूठती है न तो संघर्ष ही जीना सिखाती है। अतः संघर्ष ही जीवन है क्योंकि आपकी पीढ़ियों की किस्मत आप जैसी हो ये कभी ज्ञात नहीं कर सकते आप।

*जो सपने सच में देखते हैं उन्हें ही सुबह उठने का इंतजार होता है।

*अगर आपका ज्ञान किसी को समझ नहीं आ रहा तो उसे ज्ञान देना व्यर्थ है जैसे बाल्टी के भर जाने पर भी नल का खुला छोड़ देना। जल का व्यर्थ बह जाना सुनिश्चित है।

*हर बच्चों को पता है की माता-पिता भगवान होते हैं ।पर बात जब जीवनसाथी के चुनाव की आती है तो अपने भगवान जैसे स्वभाव वाले का चयन करने का सवाल भी करते हैं क्या ??? स्वयं से प्रश्न पूछियेगा।

*इतना मत बोलिए कि लोग आपके चुप होने का इंतजार करें और इतना भी कम मत बोलिए कि लोग आपकी बात ही समझ ना पाए ।संतुलन बहुत जरूरी है ,अन्यथा आपके लिए गलत निर्णय लेने में लोगों को वक्त ही कितना लगेगा। भविष्य आपका तबाह होगा लोगों का नहीं।

*एक गलत निर्णय आपसे आपका सारा अस्तित्व छीन सकता है और उम्र, बिस्तर, बर्तन और बच्चे को संवारने में निकल जाएगा। विचारिएगा।

*जब दो जुड़वा बच्चों की मानसिकता एक नहीं होती ,तो दो विभिन्न परिस्थितियों और परिवेश में पले-बढ़े बच्चों की मानसिकता एक कैसे हो सकती है । सोचिएगा इस बात पर।

*अनपढ़ थे तो अच्छे थे आज पढ़े-लिखे लोगों के घरों में ही तलाक के किस्से ज्यादा होते हैं।

*आज लोग बच्चों को ए बी सी डी पढ़ाने में व्यस्त हैं जरूरत तो जीवन के लिए क ख ग घ सीखाने की है।

*जब बच्चों को नौकरी लगने के बाद आपकी उम्र का ख्याल सताने लगे तो वृद्ध आश्रम में अपने लिए एक सीट बुक करा लेनी चाहिए।

*कोई मदद मांगे तो निस्वार्थ भाव से कर सको तो कर दिया करो क्योंकि खुदा हीरे जैसी खुशियां देने से पहले इम्तिहान लेता जरूर है परखने के लिए। जो खुशियां देने जा रहा हूं उसे संभाल सकने की क्षमता आप में है या नहीं।

यह मेरे व्यक्तिगत सोच पर आधारित है किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए आप कमेंट में अपना राय दे सकते हैं ,जिसके लिए मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

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