Birth of positive thoughts in my life part thirteen : मेरे जीवन में सकारात्मक विचारों का जन्म भाग तेरह
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*पूर्वजों ने सत्य ही कहा है – चार शराबी के बीच यदि आप रहते हैं तो पांचवे शराबी आप स्वयं होंगे। चार जुआरियों के बीच आप रहते हैं तो पांचवें जुआरी आप स्वयं होंगे। चार मूर्खों व घमंडियों के बीच आप रहते हैं तो पांचवें मूर्ख व घमंडी आप स्वयं होंगे ।संगत का ही तो असर होता है।

*कुछ लोगों का जीवन,सपने व कुछ अपने बैंगन की तरह होते हैं ऊपर से तो ठीक परंतु अंदर से पूरा कीड़ा लगा होता है।

*जब आप ईश्वर के मनचाहे रास्ते से भटक जाते हैं तो अक्सर वह सही राह पर लाने के लिए किसी को आपके जीवन में अवश्य भेजता है

*लोगों को यह अंदाजा नहीं होता कि वह जो कर रहे हैं उससे किसी को कैसा लग रहा है। मजाक कर रहे हैं या यूं ही टाइम पास कर रहे हैं उन्हें पता नहीं चलता कि उनकी हरकत से सामने वाले को कितनी ठेस लग रही है।

*दुष्ट , मूर्ख वघमंडी लोग अक्सर हमारी कमजोरीयों पर वार करते हैं जो हम सभी में पाई जाती है। वे जानते हैं कि आपको कैसे झुकाया या चिढ़ाया जा सकता है। दुष्ट, मूर्ख व घमंडी भावनात्मक या मानसिक रूप से चोट पहुंचाने में भी माहिर होते हैं।

*बुरे कर्म करके अच्छे फल कि ईश्वर से प्रार्थना करना भी बुरा कर्म है।इसलिए ईश्वर की नाराजगी भी आपको ही भोगने होते हैं।

*हम आत्मविश्वास मेहनत व संयम के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते हैं अगर हमें अपना भाग्य लिखना नहीं आता तो परिस्थितियां वक्त और भगवान हमारे कर्मों के अनुसार हमारा भाग्य लिख देते हैं।

*भारत में बच्चों को चुनौती से लड़ने के बजाय उनसे बचकर निकलने वाली मानसिकता पर बल दिया जाता है। जबकि चुनौतियां आपके जीवन में आगे बढ़ने व कुछ अलग कर दिखाने का अवसर देती है।

*मूर्खों के संगत में रहकर गलत निर्णय लेने वाला शख्स ही सही मायने में बेवकूफ और गधा होता है। यथा दुर्योधन के संगत में रहकर कर्ण ने चीर हरण के समय द्रौपदी का अपमान पश्चात दुर्योधन व कर्ण के कुल का नाश।

*गीता कहती हैं , आत्मा और परमात्मा एक ही है मान लू तो किसी ने किसी शख्स की आत्मा को दर्द देने की कोशिश की तो शख्स ने परमात्मा को भी दर्द दिया।

*लड़का होना भी आसान नहीं है क्योंकि लड़कों को ज्यादा से ज्यादा सपने तो दूसरों के पूरे करने पड़ते हैं । खुद के सपने के लिए सोच पाना व समय निकाल पाना लड़कों को कहां आता है।

*अपनी इमेज ऐसी बना कि जिस महफिल में जो वहां आपका इंतजार हो और जब महफिल से जो वहां आपका इंतजार हूं जब आप महफिल से जाओ तो दुश्मन भी आपकी खूबियों पर चर्चा कर उठे।

*आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में यदि आपके बच्चे को किसी अंतर्जातीय या अंतर धार्मिक प्यार हो जाता है तो यह सामान कुदरती नियम है ।उसे आत्महत्या करने या खानदान की इज्जत के नाम पर हत्या करने से पेरेंट्स के हिस्से सिर्फ आंसू ही आएंगे अगर आप अपने बच्चों को इन सबसे बचाना चाहते तो उन्हें आधुनिक स्कूल में शिक्षा लेने न भेजें, घर पर ही रखें।

*जिस इंसान के मन में पाप होता है वो पाता नहीं सिर्फ खोता है।

*एक पाखंडी अंधविश्वासी पत्नी एक शराबी पति से ज्यादा खतरनाक होती है ।क्योंकि एक शराबी पति कभी अपने बच्चों को नशे में नहीं डालता बल्कि एक पाखंडी और अंधविश्वासी पत्नी अपने बच्चों को अंधविश्वास से भर देती है और उन्हें मानसिक गुलाम बना देती है।

*भारत के ऐसा देश है जहां गलतियां होने पर अपने भी नकारात्मक बातों से स्वागत करते हैं और नकारात्मक कदम उठाने पर किस्मत के आंसू बहाते हैं।

*कर्म से जो प्राप्त होता है उसे सात पीढ़ी भोगती है जो झूठ फरेब धोखा दिखावा कर हासिल किया जाता है उसे सात पीढ़ी भुगतती है।

*आजादी अच्छी चीज है लेकिन कबूतर को आजाद करने के लिए दरवाजा अगर बिल्ली खोले तो समझदारी पिंजरे में रहने में है।

*हजारों लाखों में एक बच्चा अंतर्मुखी जन्म लेता है उसे जमाने के साथ चलने में कोई रुचि नहीं होती बस उसे सीखने में और हार को हराने में ही आनंद आता है।

*अच्छे इंसान का तो बुरा समय बीत जाता है तो उसके जीवन में कभी बुरा समय नहीं आता । किंतु बुरे समय में उसे गलत समझने वाले इंसान को वो ताउम्र याद आता है

*ईश्वर ने सोच समझ कर ही दुनिया गोल बनाई है क्योंकि अतीत के कर्म (अच्छे कर्म या बुरे कर्म )वर्तमान में उजागर हो सके। आपके कर्म का फल आपको कैसा लगेगा आपके कर्मों पे निर्भर करता है।

*जब तक आपके हृदय में लोभ, द्वेष, ईर्ष्या, लालच ,नफरत झूठ ,सत्य ,दिखावा ,जलन, चिंता, मोह कुविचार बनी रहेगी तब तक ईश्वर से आपकी शिकायत बनी रहेगी कि वह आपकी मनोकामना पूर्ण क्यों नहीं करते।

*रात दिन भगवान का नाम सुमिरन करने से दिनभर पूजा पाठ करने से भी आपकी इच्छा पूर्ण नहीं होती क्योंकि आप अपने हृदय में से झूठ लोग मोह चिंता लालच नफरत इच्छा सत्य देश के विचार को नहीं निकाल पाते भगवान आपको बाहर से नहीं हृदय से पहचानते हैं।

*भगवान कभी किसी का बुरा नहीं चाहते, आपको हमेशा सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं जो आपके भविष्य के लिए श्रेष्ठ ही नहीं उत्तम है क्योंकि इंसान सिर्फ वर्तमान को देख सकता है भविष्य को नहीं। किंतु आप अपने कार्य में स्वयं बाधक बनते हैं अपने अज्ञान के कारण उनके फैसले को अस्वीकार करके। अपने लोभ, नफरत ,झूठ, खुदगर्जी ,स्वार्थ ,राग-द्वेष जलन । स्वयं से प्रश्न पूछिएगा आपके जीवन में, आपके परिवार में, आपके समाज में ऐसा नहीं होता।

*रिश्तेदारी इंसानों के बीच होती है कर्मों के बीच नहीं आपके कर्मों का फल आपको ही मिलेंगे मेरे कर्मों का फल मुझे ही मिलेंगे।

डियर फ्रेंड्स किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूं। त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए आपका हृदय से आभारी रहूंगा। कॉमेंट्स में अपना विचार साझा कर मुझे अपना मार्गदर्शन दे सकते हैं, धन्यवाद।